Thursday, July 30, 2015

कुछ बातें!

मैं सोंचता हूँ...
क्यों ना
लिख लूं
और बाँच भी लूं
खुद ही 
कुछ चिट्ठियाँ
मेरे - तुम्हारे नाम की !

क्या होगा..
थोडा मन हल्का होगा
थोडा भारी होगा..
याद आएँगी
कुछ बातें
बरसों पुराने  शाम की !

ऐसे में ही, कहीं दूर..
कोई बादल
भिगो जायेगा 
तुम्हारे झरोखे के परदे 
शायद ...तब कहीं ,
तुम्हे भी बोध होगा
और लिखोगी सच में 
एक खत मेरे नाम की !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015

4 comments:

  1. राजेंद्र जी. मेरी रचना चर्चा-मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद !

    ReplyDelete
  2. ऐसे में ही, कहीं दूर..
    कोई बादल
    भिगो जायेगा
    तुम्हारे झरोखे के परदे
    शायद ...तब कहीं ,
    तुम्हे भी बोध होगा
    और लिखोगी सच में
    एक खत मेरे नाम की !
    बहुत ही सुन्दर जीवन्त भाव है आपकी कविता में।
    स्वयं शून्य

    ReplyDelete
  3. dil ko chhu gayi aapki rachna....
    aisa laga jaise khud ko padh raha hoon....
    beautiful

    ReplyDelete
  4. to kuchh bundon k saath ye mn ka mausam b badal jayega

    ReplyDelete

बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .