क्यूँ है तेरा ये नाम
ओ री! लाजवंती
शर्मो-हया की प्रतिमूर्ति
किसने चाहा है
तुझे इतना,
और क्यूँ तू..
बस स्पर्श से ही
इतना शरमाती.
क्यों न ,
औरों की तरह
संग हवा के
इतलाती.. इतराती.
ज़रा बता तो..
किस प्रीतम के
अहसास से है
तुझे इतनी.. लाज आती.
१२.०५.१९९८
ओ री! लाजवंती
शर्मो-हया की प्रतिमूर्ति
किसने चाहा है
तुझे इतना,
और क्यूँ तू..
बस स्पर्श से ही
इतना शरमाती.
क्यों न ,
औरों की तरह
संग हवा के
इतलाती.. इतराती.
ज़रा बता तो..
किस प्रीतम के
अहसास से है
तुझे इतनी.. लाज आती.
१२.०५.१९९८
Daddy.. When did you started writing Poetry.. Can you teach me how to write poetry?
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