शैतान का साया
है चंहुओर छाया
उसकी कोई...
जाति नहीं
धर्मं नहीं
न कोई क्षेत्र विशेष
न कोई रंग
मुझमें ..तुझमें..
भी हैं उसके अंश
है चंहुओर छाया
उसकी कोई...
जाति नहीं
धर्मं नहीं
न कोई क्षेत्र विशेष
न कोई रंग
मुझमें ..तुझमें..
भी हैं उसके अंश
जब भी है मन के अंदरउबता.. अकुलाता जरा सा बल पाकरभाई से लडतापडोसी से भिड़ताधमाके करता,अपहरण करताआपस की भेद-भाव बढाता
जन-मानस मेंकोहराम मचातालोगों का क्रंदन सुनकरखिलखिलाता.. अट्टहास करताऔर ..भूल जाताउसका भी तो घर हैबच्चे हैंबूढी अम्मा हैजो है ताक रहे..उसकी राह.. घर लौटने का अपलक.. अश्रुभरी आँखों से.
Copyright@Santosh Kumar, 2011
आइये, मिल-जुल कर आपस में सद-भाव और प्रेम का संचार करें. और मन में बैठे घृणा, द्वेष, क्रोध, भ्रष्टाचार भेदभाव रूपी शैतान के अंश को दूर भगाएं.
जब भी है मन के अंदर
जन-मानस में
आइये, मिल-जुल कर आपस में सद-भाव और प्रेम का संचार करें. और मन में बैठे घृणा, द्वेष, क्रोध, भ्रष्टाचार भेदभाव रूपी शैतान के अंश को दूर भगाएं...
ReplyDeleteBahut hi saarthak rachna.. Aabhar..
Santosh jee, very well said!!!
ReplyDeleteसार्थकता के साथ साथ अर्थ लिए हुए है आपकी ये कविता ......आभार
ReplyDeleteशैतान को भगाए बिना मानवता का कल्याण असंभव है.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पोस्ट.......एक सुन्दर सन्देश के साथ.......खूबसूरत|
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है ... सच है शैतान का कोई चेहरा कोई धर्म नहीं होता ...
ReplyDeleteअच्छे और सुंदर विचार आपने पिरोए हैं. बहुत खूब. अपने भीतर शैतान की परख रखने से हम कई भूलों से बच जाते हैं.
ReplyDeleteyathaarth ka sateek chitran. sandeshprad rachna ke liye badhai.
ReplyDeleteशैतान का साया
ReplyDeleteहै चंहुओर छाया
..............
मुझमें ..तुझमें..
भी हैं उसके अंश
......... अच्छे विचारों को अभिव्यक्ति दी है आपने.
bahut sundar abhivyakti...
ReplyDeletevery nice dear
ReplyDeleteसार्थक संदेश ।
ReplyDeleteसार्थक संदेश और कर्तव्यों के प्रति सचेत करती पंक्तियाँ......
ReplyDelete@Anil Avatar : Thank you very much.
ReplyDelete@Kshiteej : Thank you, Do visit again.
@Anju Chaudhary : अंजू जी धन्यवाद!! कोशिश की है लोगों को प्रेरित कर सकूँ.
ReplyDelete@अमृता जी : सच कहा आपने, बस यही एक विकल्प है.
ReplyDelete@इमरान जी : धन्यवाद.
सुंदर विचार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगा! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteदुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
@निर्झर नीर : शुक्रिया.
ReplyDelete@बबली : प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद, आपका ब्लॉग भी बढ़िया है.
सभी पाठकों को दुर्गा-पूजा की ढेरो शुभकामनाये.
@डॉ वर्षा सिंह जी : सराहना के लिए धन्यवाद.
ReplyDelete@दिगंबर नासवा जी : मेरी विचार के समर्थन के लिए शुक्रिया.
@भूषण जी : आधी समस्या तो तभी खत्म हो जाती है जब गलती करने वाले मान लें. मेरे ब्लॉग को समय देने के लिए धन्यवाद.
@जेन्नी शबनम जी : मन के विचारों को वर्तमान के सन्दर्भ में प्रस्तुत करने और समाज को सचेत करने की कोशिश की है. सराहना के लिए धन्यवाद.
ReplyDelete@उमेश 'महादोषी ' जी : देव और दानव सभी तो हमारे बीच से ही निकलते हैं, हम भी तो दोषी हैं की उन्हें पहचान नहीं पाते समय पर.
ब्लॉग के अवलोकन के लिए धन्यवाद.
@ सुमन मित : शुक्रिया.
ReplyDelete@ तेजवानी गिरधर : धन्यवाद.
@ अजय कुमार : सराहना के लिए धन्यवाद.
आप सबोन को 'दुर्गा-पूजा' की शुब्कामनाए, अगले पोस्ट के लिए भी अवश्य पधारें.
bahut hi sarthak sandesh deti hui pavpurna kavita.......
ReplyDeletemere blog par aakar hausala badhane ke liye shukriya. faizabad side men aana hua to jaroor mulakat hogi. dhanyabad.