Friday, March 28, 2014

खोज !

कभी - कभी
सत्य भी 
भाव रूप छोड़ कर
पात्र रूप में
खोज रहा होता है
हमें ..वैसे ही
जैसे हम उसे
और हम दोनों ही
आस-पास होते हैं
गुजर जातेहैं 
अगल-बगल से
बस ..पहचान नहीं पाते !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१४ 

1 comment:

बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .