लो मैं
फिर बिछड़ता हूँ
तुझ से
तेरे गेसूओं के साए से
तेरी गली, तेरे सहर से
पर भूलना नहीं
आऊंगा फिर से
भागकर हर बार
तेरी बाहों के
मौन निमंत्रण पर
तब तक के लिए
अपनी नम सुरमई आँखों से
दो मुझे
एक और शुभ विदा!!
copyright@Santosh kumar, 2011
प्रियतमा जिंदगी!! , आओ! , फिर से मिलो , जी लें.. कुछ लम्हे , बेतकल्लुफ होकर , कर लें दो-चार बातें , प्यार की - तकरार की , आ जी लूं तुझे , जी भर कर , कब से खड़ा हूँ , राह में.., बांहे फैलाये, और हूँ बेकरार भी , संग तेरे चलने को , कर वादा आज का , आज की शाम का.., कल हम यहाँ हों न हों!