Friday, November 13, 2015

मन की भाषा , मन का देश !

जहाँ....
आँखों के इशारे भर से
दुनिया की
तस्वीर बदलती है !
जहाँ ...
कोई जोर नहीं,
कोई शोर नहीं
सभी समझते हैं
मन ही मन...
मन की भाषा
वहीँ चलना है,
वहीँ बसना है !!

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015