Thursday, May 16, 2013

यादों का मुसाफिर

चाहे आवाज दो
या न दो 
या फिर
ओढ़ लो 
नकाब कोई
मैं यादों का मुसाफिर हूँ
समय की रेत पर
तुम्हारे निशान
ढूंढ ही लूँगा !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१३