मैं तो ..
मुसाफिर था
हूँ अब भी ,
कर्मयोगी मुसाफिर
सफर-दर-सफर,
गोकुल से मथुरा,
मथुरा से हस्तिनापुर
करने थे काम कई
ओढनी थीं
जिम्मेवारियां नयी
जिम्मेवारियां नयी
फिर भी रहा..
सौ प्रतिशत डूबा..
हर रिश्ते में ,
हर जगह, सबके संग
अब मेरी संगिनी,
रुक्मिणी-सदृश..
जो मेरे साथ है
जो मेरे साथ है
तो फिर, मेरी चिंता छोडो ..
तेरा मन, अब भी रहता क्यूँ उदास है?
तुम्हें ही तो..
हमेशा से..पसंद थे,
राधिका के कृष्ण !
किसी ने भला,
ह्रदय में झांक कर..
कृष्ण से..
ये नहीं पूछा ?
ये नहीं पूछा ?
राधिका एवं मीरा में..
और हजारों पटरानियों में
कृष्ण की ..
अपनी पसंद कौन ??
अपनी पसंद कौन ??
Copyright@Santosh Kumar, 2011
(मेरे कविता संग्रह : आधा-अधूरा प्यार से)
Picture Courtesy : Google Images
behtreen prstuti...
ReplyDeletekhoobsoorat sankalan!!
ReplyDeleteतुम्हें ही तो..
ReplyDeleteहमेशा से..पसंद थे,
राधिका के कृष्ण !
किसी ने भला,
ह्रदय में झांक कर..
कृष्ण से..
ये नहीं पूछा ?
राधिका एवं मीरा में..
और हजारों पटरानियों में
कृष्ण की ..
अपनी पसंद कौन ??... gaur karnewali baat hai !
रुक्मिणी ka aadha adhoora pyar..
ReplyDeleteNice poem santosh ji...Lovely
बहुत सुन्दर.......तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं|
ReplyDeleteकृष्ण से कौन सहानुभूति रखे.. छलिये से!!
ReplyDeleteप्रेम की विवशता और उलझन को दर्शाती रचना.
Gaurika 'Padmini'
sundar ...ati sundar....
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत......
ReplyDeleteपढते वक्त ऐसा लगा मानों कृष्ण जी ने अपनी भावनाएं कागज पर उतार दीं......
आभार....
dhanyavaad...ab itnee sundar prastutiyon ka jism, yaani blog ka layout bhee behtar ho to mazaa badh jaae
ReplyDelete...
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDelete@सुरेन्द्र "मुल्हिद" : धन्यवाद.
ReplyDelete@रश्मि प्रभा : आपने सही बात ढूंढ ली, जो मैं कहना चाहता
था. धन्यवाद!
@P. Dwivedi : रुक्मिणी, राधिका और कृष्ण. सभी अधूरे रहे.
मैं तो ..
ReplyDeleteमुसाफिर था
हूँ अब भी ,
कर्मयोगी मुसाफिर
सफर-दर-सफर,
गोकुल से मथुरा,
मथुरा से हस्तिनापुर
-------अच्छी रचना है.
@इमरान अंसारी और सागर : शुक्रिया.
ReplyDelete@गौरिका 'पद्मिनी' : ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया. रही बात कृष्ण की.. किसी के साथ छल.. किसी के प्रति प्रेम-विह्वल. कृष्ण का जीवन सम्पूर्ण दर्शन है अपने आप में.
Dr Shyam Gupta : Thank you for visiting and appreciation, do visit again.
तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भावों से सजी रचनाएँ ....आपको हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteअच्छी रचना और गूढ अर्थ- बधाई संतोष भाई॥
ReplyDeletebahut sundar..achha lga blog par aakar
ReplyDelete@Atul Shrivastava : धन्यवाद. कृष्ण के जीवन-दर्शन से बहुत प्रेरणा और शिक्षा मिलती है हमें!
ReplyDelete@Newslogger : Thank you for suggestion, I will improve my website very soon.
@Reena Maurya : Thank you, do visit again.
तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं.
ReplyDeletebehad khubsurat parstuti
ReplyDeleteक्रिसन तो वैसे ही सबके हैं और सब उनके तो ये फर्क क्यों करना ... उसकी माया वो ही जानता है ...
ReplyDelete@उमेश महादोषी, Patli-the-village और डॉ मोनिका शर्मा :
ReplyDeleteशुक्रिया ..सराहना के लिए.
कृष्ण के प्रेम-प्रसंग और जीवन-दर्शन मुझे बेहद पसंद हैं, इस खूबसूरत रचना के लिए सहृदय धन्यवाद. आपकी ऐसी और रचनाओं का इंतज़ार रहेगा.. साभार.
ReplyDeleteKrishn to sabme bante they lekin krishn ki apni ek hin thee Radha. teenon rachna bahut sundar, badhai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! लाजवाब प्रस्तुती !
ReplyDeleteराधिका एवं मीरा में..
ReplyDeleteऔर हजारों पटरानियों में
कृष्ण की ..
अपनी पसंद कौन ??
bhut achchi abhivaykti.
excellent description .
ReplyDeletecongenitalsequeliccure.blogspot.com is my blog .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति... बहुत ही सरलता से गहरे भाव उकेरे हैं आपने.. आभार..
ReplyDeletejsi shri krin.radhe radhe..jai sri ram ..har har bhole
ReplyDeleteyehi sab bhagt kahte hai yehi sab sant gate hai n jane konse gun pe daya nidhi rinjh jate hai...