प्रियतमा जिंदगी!! , आओ! , फिर से मिलो , जी लें.. कुछ लम्हे , बेतकल्लुफ होकर , कर लें दो-चार बातें , प्यार की - तकरार की , आ जी लूं तुझे , जी भर कर , कब से खड़ा हूँ , राह में.., बांहे फैलाये, और हूँ बेकरार भी , संग तेरे चलने को , कर वादा आज का , आज की शाम का.., कल हम यहाँ हों न हों!
क्यों न ?
ReplyDeleteतुम ..
बाँध लो
मेरा मन
अपने जूडे की
एक शोख लट से.
........... excellent
Thank you for appreciation !!
Deleteबहुत सुंदर.....................
ReplyDeleteये आग्रह नहीं ठुकरा सकती वो....
क्या सच में !!
Deleteकाश ! लेखक महोदय का अनुरोध कबूल हो! आमीन.
शबनम रजा.
अक्सर
ReplyDeleteबड़ा ही अनमोल,
अकल्पनीय सुकून
पाया है...
मेरे चंचल मन ने
तुम्हारे गेसुओं की खुशबू में
तुम्हारे पलकों की छांव में!
....बहुत सुन्दर और भावमयी....
वाह ... बहुत खूब ।
ReplyDeleteijaazat hai ;-)
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर लिखा है आपने...
ReplyDeleteबहूत सुंदर रचना.....
इजाजत है ! प्रभु आपकी हर कामना पूरी करे . सच में किसी प्रेयसी को ये अनुरोध ठुकरा पाना बेहद मुश्किल होगा.
ReplyDeleteशुभकामनाये !
अंजलि 'मानसी'
संतोष जी ...आपकी रचना ने मुग्ध कर दिया ...बहुत खूब
ReplyDeleteअनु जी : धन्यवाद, लगता है थोडा सफल रहा मैं अपने प्रयास में.
Deleteकी तुम्हारे गेसुओं (...) खुशबू में
ReplyDeleteतुम्हारे पलकों की छांव में!
खूबसूरत जज़्बात.... वाह!
सादर
मेरी रचना के अवलोकन के लिए धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर । जुल्फों में सजा देंगे हम फूल मुहब्बत के ।
ReplyDeleteब्लॉग पर आने का शुक्रिया !!
DeleteLovely love ballads....love..blooms every where..thank u for sharinng. Waitiing for ur next post of english blog too.
ReplyDeleteguess who..?
Lovely love ballads...waiting for ur next post of english blog also....
ReplyDeleteguess who..?
सुन्दर और भावपूर्ण कविता है.
ReplyDeleteक्यों न ?
ReplyDeleteतुम ..
बाँध लो
मेरा मन
अपने जूडे की
एक शोख लट से.
रहा है
आवारगी में
बरसों से ...
ठहर जाऊं,
बस जाऊँ यहीं
जो तुम्हारी इजाज़त हो!
Beautiful !! bahut sundar sukoon deti huyi ek najuk si rachna
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया !!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteamazing....
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