Tuesday, January 29, 2013

मैं और तुम !

जब से है..
ये भान हुआ ,
थोडा ज्ञान हुआ
कि तुम ..
बसे हो 
मुझमें भी ..
न जाने कब से ?
अब न मैं हूँ
न अहम है
न कोई वहम है
तुम ही तो हो 
मेरे अंतर में ,
बाहर में ..
यत्र - तत्र ...सर्वत्र !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१३ 

Saturday, January 12, 2013

चलो !

चलो !
कहीं दूर चलें
बहुत दूर चलें
वहाँ चलें
जहाँ.. चेहरे हों
घर हो,
प्रकृति हो,
जीवन हो
पर.. न कोई मेरा हो
न ही कोई तुम्हारा हो
बस बज रहा हो संगीत 
उस जहाँ में..
दिलों के साथ-साथ धडकने का !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१३.