Friday, May 10, 2019

मैं और तुम

तू ही बता... जिंदगी
मैं कौन हूँ तुम्हारा...?
तुम्हारी चिठ्ठियाँ पढ़ने वाला ,
तुम्हारी चिट्ठियाँ  लाने वाला ,
या हर रोज़....
तुझे ..बड़ी शिद्दत से
लगातार चिट्ठियां लिखने वाला
सुना है
अक्सर प्यार हो जाता है
इनमे से ...
किसी -न-किसी एक से तुझे !!


Saturday, February 16, 2019

पुल बामा की घटना पर

कुछ मुल्क,
कुछ कौम,
कुछ लोगों के जेहन से
शान्ति,
प्रेम,
सद्भाव,
इंसानियत
की भावनायें मर गयी हैं क्या??
कुछ लोगों के जेहन में
नफरत,
आतंक,
वैमनस्य,
शैतानी खून
का जहर भर गया है क्या ??
हे प्रभु, हे खुदा..
इन्हें जल्दी उठा ले
या फिर
सिखा दे
इन्हें भी मानवता का धर्म
नहीं तो ..
क्या हम सोंचें
'ऊपर वाले' का जमीर सो गया है क्या ??

Friday, May 25, 2018

मैं और तुम 
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मेरे ईश  . मेरे प्रिय !
चाहो तो 
बाँध लो सुरों में 
गा लो मुझे
चाहो तो 
लिख लो,
पिरो लो .. 
एक माला में मुझे !

संतोष कुमार 'सिद्धार्थ'

Monday, April 11, 2016

मैं और तुम !

बस इतना सा
फर्क है
मुझमे...
और तुझमे...
तुम अक्सर आये
बिन बताये
मिले,
ख्याल बनकर ,
रहे सपनों में,
प्रार्थना में !
और मैं
तुम्हे ढूंढ रहा...
झांक रहा
खिड़कियों से,
पर्दों की ओट से,
दर पर खडा
लंबी कतारों में
मिलने की आस लिए !!

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१६ 

Friday, November 13, 2015

मन की भाषा , मन का देश !

जहाँ....
आँखों के इशारे भर से
दुनिया की
तस्वीर बदलती है !
जहाँ ...
कोई जोर नहीं,
कोई शोर नहीं
सभी समझते हैं
मन ही मन...
मन की भाषा
वहीँ चलना है,
वहीँ बसना है !!

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015

Thursday, July 30, 2015

कुछ बातें!

मैं सोंचता हूँ...
क्यों ना
लिख लूं
और बाँच भी लूं
खुद ही 
कुछ चिट्ठियाँ
मेरे - तुम्हारे नाम की !

क्या होगा..
थोडा मन हल्का होगा
थोडा भारी होगा..
याद आएँगी
कुछ बातें
बरसों पुराने  शाम की !

ऐसे में ही, कहीं दूर..
कोई बादल
भिगो जायेगा 
तुम्हारे झरोखे के परदे 
शायद ...तब कहीं ,
तुम्हे भी बोध होगा
और लिखोगी सच में 
एक खत मेरे नाम की !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015

Wednesday, February 11, 2015

कुछ मेरे Facebook पोस्ट से

मैंने पिछले दिनों Facebook  पर पोस्ट किया :

तलाश
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ढूंढ रहा हूँ
नयी राह
बुन रहा हूँ
नया सपना
अनुभव है ..
आधी जिंदगी का
देखूँगा .. जिंदगी को
नए चश्मे से !!



मेरा नाम 
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मुझे 
पसंद नहीं था
नाम वालों की 
भीड़ में खो जाना..
कुछ ऐसे ही याद कर लेना
मुझ अनाम को !!


Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१५