Monday, April 11, 2016

मैं और तुम !

बस इतना सा
फर्क है
मुझमे...
और तुझमे...
तुम अक्सर आये
बिन बताये
मिले,
ख्याल बनकर ,
रहे सपनों में,
प्रार्थना में !
और मैं
तुम्हे ढूंढ रहा...
झांक रहा
खिड़कियों से,
पर्दों की ओट से,
दर पर खडा
लंबी कतारों में
मिलने की आस लिए !!

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१६