Thursday, October 27, 2011

नेता जी उवाच..

(१)
मैं हूँ..
आपका जन-प्रतिनिधि,
जन सेवक,
जनता का,
जनता के लिए..
जनता द्वारा चुना गया.
गिरवी हैं..
जनता के
वोट भी.. नोट भी,
और उनके सुख-चैन भी
मेरी तिजोरी में.

(२)
आऊँगा.. बार-बार
पास तुम्हारे ..
बिना हिचक के,
बिना शर्म के
हाथ जोड़े, झोली फैलाये
करने नवीनीकरण ..
जन-सेवा के ठेके का.

(३)
हो जायेगी
मंत्रिमंडल में,
जगह भी पक्की..
अबकी बार,
भूलना मत
मेरा नया निशान...
हेलीकॉप्टर से थैले गिराता
तुम्हारा नेता महान !!

Copyright@संतोष कुमार,२०११  

Thursday, October 20, 2011

आओ जलायें दीये .. आस्था और विश्वास के.


सुनो.. मेरे भाई
भाई कुम्हार !
मेरी छोटी सी विनती
कर लो स्वीकार
भूलूँगा नहीं..
कभी तेरा उपकार

अबकी बार..
जो मिटटी लाना
दीये बनाने को
उसमें है मुझे मिलाना
और चार मुठ्ठी मिटटी
बच्चों का मन रखने को

क्योंकि..अब भी शेष है..
आस्था और विश्वास
मन में हम-सबके ,
कि कुछ तो प्रभाव छोड़ेगी ..
मुठ्ठी भर पवित्र मिटटी
लाया हूँ जिसे 
मस्जिद, मंदिर, गिरिजा और गुरूद्वारे से

ताकि मैं भी..
जला सकूं करोडों दीये
आत्मीयता और प्यार के,
सदाचार और सद्भाव के
मन में मेरे-तुम्हारे,
और ह्रदय में हम-सबके

मेरे कुम्हार भाई..
करना मदद मेरी ..
कि हम जला सकें दीये,
आस्था और विश्वास के.

Copyright@Santosh kumar, 2011

आप सबको पावन ज्योतिर्मय पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!!. प्रभु कृपा से आपके जीवन में उल्लास और सुख-शांति हमेशा बनी रहे .
My new post of English Blog with Diwali Greetings : Happy Diwali !!

Photo Courtesy : Google Images

Wednesday, October 12, 2011

राधिका के कृष्ण !





(१)
मैं तो ..
मुसाफिर था
हूँ अब भी ,
कर्मयोगी मुसाफिर 
सफर-दर-सफर,
गोकुल से मथुरा,
मथुरा से हस्तिनापुर





(२)
करने थे काम कई
ओढनी थीं 
जिम्मेवारियां नयी  
फिर भी रहा..
सौ प्रतिशत डूबा..
हर रिश्ते में ,
हर जगह, सबके संग
अब मेरी संगिनी, 
रुक्मिणी-सदृश.. 
जो मेरे साथ है
तो फिर, मेरी चिंता छोडो ..
तेरा मन, अब भी रहता क्यूँ उदास है?



(३) 
तुम्हें ही तो..
हमेशा से..पसंद थे,
राधिका के कृष्ण !
किसी ने भला,
ह्रदय में झांक कर..
कृष्ण से..
ये नहीं पूछा ?
राधिका एवं मीरा में..
और हजारों पटरानियों में
कृष्ण की ..
अपनी पसंद कौन ??



Copyright@Santosh Kumar, 2011
(मेरे कविता संग्रह : आधा-अधूरा प्यार से)
Picture Courtesy : Google Images

Thursday, October 6, 2011

तेरे सपने

मेरे लिए
बड़ा आसान सा है..
हर रोज ..तेरे सपने देखना


बस...
गुलाबी कागज़ पर 
उलटे हाथ से
तुम्हारा नाम लिखकर ..
तकिये के नीचे
डाल देता हूँ.


पर.. जरा सी
मुश्किल रहती है...
नहीं समझा पाता 
घर में अम्मा को
सुबह-सुबह...
मेरी उनींदी और
सूजी हुई
आँखों  का राज़..


Copyright@Santosh kumar
(मेरी कविता संग्रह : आधा-अधूरा प्यार से)