Friday, November 13, 2015

मन की भाषा , मन का देश !

जहाँ....
आँखों के इशारे भर से
दुनिया की
तस्वीर बदलती है !
जहाँ ...
कोई जोर नहीं,
कोई शोर नहीं
सभी समझते हैं
मन ही मन...
मन की भाषा
वहीँ चलना है,
वहीँ बसना है !!

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015

Thursday, July 30, 2015

कुछ बातें!

मैं सोंचता हूँ...
क्यों ना
लिख लूं
और बाँच भी लूं
खुद ही 
कुछ चिट्ठियाँ
मेरे - तुम्हारे नाम की !

क्या होगा..
थोडा मन हल्का होगा
थोडा भारी होगा..
याद आएँगी
कुछ बातें
बरसों पुराने  शाम की !

ऐसे में ही, कहीं दूर..
कोई बादल
भिगो जायेगा 
तुम्हारे झरोखे के परदे 
शायद ...तब कहीं ,
तुम्हे भी बोध होगा
और लिखोगी सच में 
एक खत मेरे नाम की !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ',2015

Wednesday, February 11, 2015

कुछ मेरे Facebook पोस्ट से

मैंने पिछले दिनों Facebook  पर पोस्ट किया :

तलाश
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ढूंढ रहा हूँ
नयी राह
बुन रहा हूँ
नया सपना
अनुभव है ..
आधी जिंदगी का
देखूँगा .. जिंदगी को
नए चश्मे से !!



मेरा नाम 
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मुझे 
पसंद नहीं था
नाम वालों की 
भीड़ में खो जाना..
कुछ ऐसे ही याद कर लेना
मुझ अनाम को !!


Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१५