Saturday, March 31, 2012

मैं और तुम

१.
मैं 
टूटता तारा सही
जलूँगा, बुझूंगा
पर याद रखना
तेरी हर मुराद
पूरी करूँगा.


२.
मेरी जिंदगी...
तू सलाम कर
मेरे शौक को..
थोड़ा गुमान  कर
मेरे अंदाज का
फिर देख
मैं, तेरे हर पहलू में
कितने रंग भरता हूँ.


३.
मुझे
दुनिया की भीड़ में
सिर्फ तुम ही दिखीं..
अपनी सी
मेरी आँखें
पहचानती थीं ,
पहले से,
कई जन्मों से
सिर्फ तुम्हें हीं.


Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२.



23 comments:

  1. बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ.................

    टूटता,जलता,बुझता सही......मुराद पूरी करूँगा तेरी

    लाजवाब...
    सादर
    अनु

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  2. बहुत भावपूर्ण लगी आपकी ये क्षणिकाएं...बधाई

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  3. मैं
    टूटता तारा सही
    जलूँगा, बुझूंगा
    पर याद रखना
    तेरी हर मुराद
    पूरी करूँगा... waah

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  4. हमारी टिप्पणी कहाँ गयी????
    check spam pls....

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  5. मैं
    टूटता तारा सही
    जलूँगा, बुझूंगा
    पर याद रखना
    तेरी हर मुराद
    पूरी करूँगा..
    सुन्दर क्षणिका ...:)

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    1. ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद !

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  6. आपकी गजल पढ़ी मैंने.. कमाल की है.
    शुक्रिया.

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  7. kya khoobsoorat likha hai santosh bhai....

    muraadein poori hon...!!

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  8. teeno hi shandar thi.

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  9. प्रिय बंधुवर संतोष कुमार 'सिद्धार्थ जी
    सस्नेहाभिवादन !

    तीनों क्षणिकाएं एक से एक बढ़कर हैं …
    लेकिन, इसका जवाब नहीं …
    मेरी जिंदगी...
    तू सलाम कर
    मेरे शौक को..
    थोड़ा गुमान कर
    मेरे अंदाज का
    फिर देख
    मैं, तेरे हर पहलू में
    कितने रंग भरता हूँ.

    बहुत ख़ूब !!

    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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    1. राजेंद्र जी : आपके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

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  10. बहुत सुंदर .....

    तीनों ही क्षणिकाएं बहुत अच्छी लिखी आपने ....

    आपने तो मुझे भेजी हैं न क्षणिकाएं ....?
    यह अंक जुलाई तक मिलेगा आपको
    २६ जून को विमोचन होगा इसका गुवाहाटी में ही ....

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    1. हरकीरत जी : ब्लॉग पर आने का शुक्रिया. मैंने क्षणिकाएं आपको भेजी हैं, आपने चुनी भी है. इस विशेषांक का मुझे भी बेसब्री से इन्तेजार है .. सूचना देकर अवगत करने लिए फिर से धन्यवाद !

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  11. टूटते तारों से मन की मुराद पूरी हो ....ये ही कामना करेंगे

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  12. अति सुन्दर क्षणिकाएं.

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  13. मेरी आँखें
    पहचानती थीं ,
    पहले से,
    कई जन्मों से
    सिर्फ तुम्हें हीं.
    bhaut hi bhav poorn rachana ...badhai santosh ji

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बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .