आओ दिखाएँ
तुम्हे,
तुम्हारी आँखों में
अनंत का एक रूप
बिल्कुल प्रत्यक्ष में
जरा बैठो तो...
मेरे सामने
और झाँको मेरी आँखों में
और गिनो,
अगर गिन सको तो..?
मेरी आँखों में
तुम्हारी आँखों के
कितने प्रतिबिम्ब हैं?
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
अगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२
तुम्हे,
तुम्हारी आँखों में
अनंत का एक रूप
बिल्कुल प्रत्यक्ष में
जरा बैठो तो...
मेरे सामने
और झाँको मेरी आँखों में
और गिनो,
अगर गिन सको तो..?
मेरी आँखों में
तुम्हारी आँखों के
कितने प्रतिबिम्ब हैं?
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
अगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
ReplyDeleteअगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
बहुत ही खूबसूरत व्याख्या, अच्छा लगता है हिंदी का साहित्यिक अंदाज़.
ReplyDeleteसंतोषजी और आपकी लेखिनी भी दिन प्रति दिन धारदार होती जा रही है
प्रवीण जी : बहुत दिनों के बाद आपको फिर से मेरी ये कविता पसंद आई. आपकी फोटोग्राफी के भी खूब चर्चे है. आप सफलता की रह पर अग्रसर हो. शुभकामनायें.
Deleteयह भाव अनंत को दर्शाता है और अनंत को समझना , उसके प्रतिविम्बों से रूबरू होना सूक्ष्म समर्पण से ही संभव है ....
ReplyDeleteबेहद गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर...आपको हार्दिक शुभकामनायें...|
ReplyDeleteप्रेम और समर्पण के सुन्दर भाव... शुभकामनायें
ReplyDeleteलौकिक भी ...अलौकिक भी ......सुन्दर बिम्बों का प्रयोग।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने और समीक्षा के लिए शुक्रिया.
Deleteअनंत को समझने के लिए एकाग्रता जरूरी है...अलग हटकर रचना !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने और समीक्षा के लिए शुक्रिया.
Deleteपारलैकिक प्रेम की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! बधाई !
ReplyDeleteब्लॉग पर आने और रचना की विवेचना के लिए धन्यवाद !
Deleteवाह,बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteगहरी रचना है ... अनंत को अंकों द्वारा ही देखना संभव है ...
ReplyDeleteप्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
ReplyDeleteअगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
....बहुत गहन भाव...सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
और झाँको मेरी आँखों में
ReplyDeleteऔर गिनो,
अगर गिन सको तो..?
गहन अभिव्यक्ति और भावमयी प्रस्तुति..
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया!
Deleteवाह ...
ReplyDeleteतनिक कंकरी परत ,नैन होत बे -चैन ,
ReplyDeleteउन नैनन की क्या दशा ,जिन नैनन में नैन ....
नैन से नैन नाहीं मिलावो ...नैनों पे कितना कुछ लिखा गया है ये रचना भी अप्रतिम हैं :मेरी आँखों में तुम्हारी आँखों के हैं अनगिन प्रतिबिम्ब ,इसीलिए कहता रहता ,मत गिन मत गिन ,मत गिन ....
मंगलवार, 4 सितम्बर 2012
Connecting the Dots : Type 2 Diabetes
The Basics (पारिभाषिक शब्दावली के साथ हिंदी में भी जल्द आ रहा है यह आलेख :बुनियादी बातें जीवन शैली रोग मधुमेह की )
Diabetes ,which affects 25.8 million Americans , is a disease in which people have high blood glucose
(blood sugar )levels due to the body's inability to produce or use insulin .
Insulin is a hormone that converts the sugars and starches that you eat into glucose , the fuel for your cells.
In Type 1 (often called juvenile) diabetes , the body does not produce insulin from birth .
With Type 2 diabetes ,over time the body either stops producing enough insulin or does not respond properly to insulin (insulin resistance).
Untreated or poorly managed diabetes can lead to chronically high blood sugar levels , a risk factor for heart disease , nerve damage , vision loss and other problems.
आज 4/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं गहन अभिव्यक्ति...
अनु
Lovely poem. Touches my heart.
ReplyDeletewishes
Anoushka Dandekar
तुम्हारी आँखों के
ReplyDeleteकितने प्रतिबिम्ब हैं?
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
अगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
bahut behtareen...