शैतान का साया
है चंहुओर छाया
उसकी कोई...
जाति नहीं
धर्मं नहीं
न कोई क्षेत्र विशेष
न कोई रंग
मुझमें ..तुझमें..
भी हैं उसके अंश
है चंहुओर छाया
उसकी कोई...
जाति नहीं
धर्मं नहीं
न कोई क्षेत्र विशेष
न कोई रंग
मुझमें ..तुझमें..
भी हैं उसके अंश
जब भी है मन के अंदरउबता.. अकुलाता जरा सा बल पाकरभाई से लडतापडोसी से भिड़ताधमाके करता,अपहरण करताआपस की भेद-भाव बढाता
जन-मानस मेंकोहराम मचातालोगों का क्रंदन सुनकरखिलखिलाता.. अट्टहास करताऔर ..भूल जाताउसका भी तो घर हैबच्चे हैंबूढी अम्मा हैजो है ताक रहे..उसकी राह.. घर लौटने का अपलक.. अश्रुभरी आँखों से.
Copyright@Santosh Kumar, 2011
आइये, मिल-जुल कर आपस में सद-भाव और प्रेम का संचार करें. और मन में बैठे घृणा, द्वेष, क्रोध, भ्रष्टाचार भेदभाव रूपी शैतान के अंश को दूर भगाएं.
जब भी है मन के अंदर
जन-मानस में