प्रियतमा जिंदगी!! , आओ! , फिर से मिलो , जी लें.. कुछ लम्हे , बेतकल्लुफ होकर , कर लें दो-चार बातें , प्यार की - तकरार की , आ जी लूं तुझे , जी भर कर , कब से खड़ा हूँ , राह में.., बांहे फैलाये, और हूँ बेकरार भी , संग तेरे चलने को , कर वादा आज का , आज की शाम का.., कल हम यहाँ हों न हों!
संतोष जी बहुत प्यारी रचनायें हैं ....
ReplyDeleteनीचे भी देखी मैंने .....
पत्थर वाली बहुत अच्छी लगी ....
अपनी १४, १५ क्षनिकाएं भेज दीजिये मुझे 'सरस्वती-सुमन' पत्रिका के लिए ...
जो क्षणिका विशेषांक ही है ....
साथ में अपना संक्षिप्त परिचय और तस्वीर भी ....
इन्तजार रहेगा .....
harkirathaqeer@gmail.com
मेरे मन की व्यथा.. आपकी ज़ुबानी. बेहद भावुक रचना.
ReplyDeleteआपका धन्यवाद.
शेखर 'गुंजन'
Its too good..i have always been a fan of your poetry....!!
ReplyDeletevery nice bhaiya gr8
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत..........बहुत पसंद आई पोस्ट|
ReplyDeleteप्रेम में विरह की भावुक अभिव्यक्ति.. अच्छी लगी.
ReplyDeleteएक और उदास शाम.. मार्मिक चित्रण.
ReplyDeleteसंजना झंझर
संतोष, अब लग रहा है कि ब्लौग पर मेरी भेजी हुई किताब का असर होने लगा है। साथ में खुशी भी है कि कोई तो कद्र कर रहा है उन किताबों की।
ReplyDeleteये तुकबन्दी तो बिल्कुल भी नहीं है।
बातें तो बहुत हैं करने को, पर तुम सामने आओ फ़िर बात करने का मजा आएगा।
शुभकामनाएँ...
Wonderful.
ReplyDeleteभावुक अभिव्यक्ति........
ReplyDeleteहरकीरत जी. सराहना के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteमैं अपनी क्षणिकाएँ आपको भेज दूँगा, आपकी रचनाएँ देखी.. बहुत कुछ सीखने को मिला. "सरस्वती-सुमन" में अवसर देने के लिए आभारी हूँ.
@KK & Rachita : Thank you for visiting and appreciation.
ReplyDelete@इमरान अंसारी , अमित और संजना : शुक्रिया!!
ReplyDelete@अनूप वर्मा : शुभकामनाओं और प्रेरणा के लिए धन्यवाद. Blogging की किताबों से काफ़ी कुछ सीखने को मिला.आशीर्वाद दें, अम्मा जी को मेरा प्रणाम कहें.
ReplyDeleteमुझे सूर्य कांत त्रिपाठी 'निराला' जी का मुक्त छन्द लिखने का अंदाज़ पसंद है. . और भी रचनाओं पर अपनी समालोचना व्यक्त करें.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThank you for visiting, Also visit www.santoshspeaks.blogspot.com.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete@निवेदिता : धन्यवाद. आपकी रचना "संबंधों की कांवर" बहुत पसंद आई.
ReplyDeleteBahut sunder rachna . Dhanyavad.
ReplyDeleteअच्छी लगी. शुभकामनाएं.
ReplyDelete