Thursday, October 27, 2011

नेता जी उवाच..

(१)
मैं हूँ..
आपका जन-प्रतिनिधि,
जन सेवक,
जनता का,
जनता के लिए..
जनता द्वारा चुना गया.
गिरवी हैं..
जनता के
वोट भी.. नोट भी,
और उनके सुख-चैन भी
मेरी तिजोरी में.

(२)
आऊँगा.. बार-बार
पास तुम्हारे ..
बिना हिचक के,
बिना शर्म के
हाथ जोड़े, झोली फैलाये
करने नवीनीकरण ..
जन-सेवा के ठेके का.

(३)
हो जायेगी
मंत्रिमंडल में,
जगह भी पक्की..
अबकी बार,
भूलना मत
मेरा नया निशान...
हेलीकॉप्टर से थैले गिराता
तुम्हारा नेता महान !!

Copyright@संतोष कुमार,२०११  

26 comments:

  1. बहुत सुन्दर..एकदम करारा..

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  2. Very nice creation Sirjee.. Very true and bold. Regards...

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  3. बहुत ही निडर और बेबाक रचना , देश की वर्तमान राजनीति को आईना दिखाती रचना .

    सच , ऐसे ही तो है हमारे अधिकांश सांसद और विधायक-गण. हर बार झूठे वादे, समाज का भला हो न हो, उनकी खुद की तिजोरियां भरती जाती हैं, सत्ता में बने रहने को और मंत्री पद के लिए वे किसी भी पार्टी में शामिल हो जाते हैं.

    अभिनव 'विद्रोहो',विद्यार्थी , जन-जागरण सेवा मंडल, गोरखपुर.

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  4. भूलना मत
    मेरा नया निशान...
    हेलीकॉप्टर से थैले गिराता
    तुम्हारा नेता महान !!


    बहुत खूब....:))

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  5. @Atul Srivastava : Thank you.

    @Amrita Tanmay : शुक्रिया, तकलीफ बढ़ जाए तो अभिव्यक्ति थोड़ी तल्ख़ और कड़क हो जाती है.

    @Anil Avtar : We have to be bold to fight evil person in disguise. Thank you for support.

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  6. @अभिनव 'विद्रोही' : धन्यवाद, मैंने कोशिश की समाज के दर्द को वैचारिक अभिव्यक्ति देने की, आप जैसे जागरूक लोगो से समाज से विकृति दूर करने की अपील करूँगा.

    @K.P. Singh : आप की बात से सहमत हूँ पर नेताओं को सीधे-सीधे ***** कहना इस मंच से उचित नहीं था, इसीलिए मैंने आप की टिप्पणी हटा दी. कृपया संतुलित और शिष्ट भाषा का प्रयोग करें.

    आप का ये कहना कुछ हद तक ठीक है कि उनमें से ही कभी-कोई वाल्मीकि बनेगा. आगे भी टिप्पणियों का इंतज़ार रहेगा.

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  7. सुन्दर , सटीक ..

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  8. शानदार और बेहतरीन व्यंग्य |

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  9. हो जायेगी
    मंत्रिमंडल में,
    जगह भी पक्की..
    अबकी बार,
    भूलना मत
    मेरा नया निशान...
    हेलीकॉप्टर से थैले गिराता
    तुम्हारा नेता महान !!
    हर दम ऊर्जा से भरे रहतें हैं आप इसीलिए बुहार लेतें हैं घर दुआर ,छंटनी कर लेते हैं सामान .हृदय से आपका आभार ब्लॉग पर आने के लिए ,सौ बार .
    बेहतरीन व्यंग्य बाण चलाए हैं आपने .उत्कृष्ट हैं ये विचार कणिकाएं .

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  10. आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  11. क्या बात कही है,सुन्दर.

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  12. बुलाने का शुक्रिया.अच्छी और रोचक शैली वाली कविता . मित्र फिर बुला लीजियेगा .जरुर आऊंगा और बेबाक लिखूंगा .

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  13. @हरकीरत 'हीर' : ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.

    @डॉ. मोनिका शर्मा : सराहना के लिए आभार.

    @वर्ज्य नारी स्वर : खुशी हुई आपको पसंद आया, धन्यवाद.

    @इमरान अंसारी : शुक्रिया.

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  14. its awesome !!
    sir please carry on and tell me how to operate blogs.

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  15. बहुत खुब संतोष जी. आपकी यह व्यंगात्मक कविता बहुत ही सुन्दर है | सराह्नीय है |मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं |

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  16. @Veerubhai :ब्लॉग पर आने का धन्यवाद.

    @प्रेम सरोवर : शुक्रिया.. जरुर आऊँगा.

    @राहुल पंडित : सराहना के लिए शुक्रिया.

    @Dr Braj kishor :आपका हमेशा स्वागत है! जरुर बुलाऊंगा..आपका आभार.

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  17. जिन्हें हम चुन कर हमारा अगुआ बनाते हैं वही एक वक़्त के बाद हमारे वजूद को ही मतलबपरस्ती की दीवार में चुनने की साजिशें करते हैं....परम दुर्भाग्य हमारा लेकिन सौभाग्य भी की आपने समस्या पर सटीक शब्द बाण चलाये...सतत लेखन की शुभकामनाओं सहित.....

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  18. कटु सत्य कहें अथवा आजकी राजनीतिक नग्नता आपने जनाक्रोश को समेटने का अच्छा प्रयास किया है - बधाई

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  19. यथार्थपरक अभिव्यक्ति ।

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  20. बहुत अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद संतोष जी।

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  21. Apki kavita aaj hi dekh saka. Netaon par aapka chutila byang pasand aya.

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