जब से है..
ये भान हुआ ,
थोडा ज्ञान हुआ
कि तुम ..
बसे हो
मुझमें भी ..
न जाने कब से ?
अब न मैं हूँ
न अहम है
न कोई वहम है
तुम ही तो हो
मेरे अंतर में ,
बाहर में ..
यत्र - तत्र ...सर्वत्र !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१३
ये भान हुआ ,
थोडा ज्ञान हुआ
कि तुम ..
बसे हो
मुझमें भी ..
न जाने कब से ?
अब न मैं हूँ
न अहम है
न कोई वहम है
तुम ही तो हो
मेरे अंतर में ,
बाहर में ..
यत्र - तत्र ...सर्वत्र !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१३