प्रियतमा जिंदगी!! , आओ! , फिर से मिलो , जी लें.. कुछ लम्हे , बेतकल्लुफ होकर , कर लें दो-चार बातें , प्यार की - तकरार की , आ जी लूं तुझे , जी भर कर , कब से खड़ा हूँ , राह में.., बांहे फैलाये, और हूँ बेकरार भी , संग तेरे चलने को , कर वादा आज का , आज की शाम का.., कल हम यहाँ हों न हों!
तू ही बता... जिंदगी मैं कौन हूँ तुम्हारा...? तुम्हारी चिठ्ठियाँ पढ़ने वाला , तुम्हारी चिट्ठियाँ लाने वाला , या हर रोज़.... तुझे ..बड़ी शिद्दत से लगातार चिट्ठियां लिखने वाला सुना है अक्सर प्यार हो जाता है इनमे से ... किसी -न-किसी एक से तुझे !!