Wednesday, October 12, 2011

राधिका के कृष्ण !





(१)
मैं तो ..
मुसाफिर था
हूँ अब भी ,
कर्मयोगी मुसाफिर 
सफर-दर-सफर,
गोकुल से मथुरा,
मथुरा से हस्तिनापुर





(२)
करने थे काम कई
ओढनी थीं 
जिम्मेवारियां नयी  
फिर भी रहा..
सौ प्रतिशत डूबा..
हर रिश्ते में ,
हर जगह, सबके संग
अब मेरी संगिनी, 
रुक्मिणी-सदृश.. 
जो मेरे साथ है
तो फिर, मेरी चिंता छोडो ..
तेरा मन, अब भी रहता क्यूँ उदास है?



(३) 
तुम्हें ही तो..
हमेशा से..पसंद थे,
राधिका के कृष्ण !
किसी ने भला,
ह्रदय में झांक कर..
कृष्ण से..
ये नहीं पूछा ?
राधिका एवं मीरा में..
और हजारों पटरानियों में
कृष्ण की ..
अपनी पसंद कौन ??



Copyright@Santosh Kumar, 2011
(मेरे कविता संग्रह : आधा-अधूरा प्यार से)
Picture Courtesy : Google Images

33 comments:

  1. तुम्हें ही तो..
    हमेशा से..पसंद थे,
    राधिका के कृष्ण !
    किसी ने भला,
    ह्रदय में झांक कर..
    कृष्ण से..
    ये नहीं पूछा ?
    राधिका एवं मीरा में..
    और हजारों पटरानियों में
    कृष्ण की ..
    अपनी पसंद कौन ??... gaur karnewali baat hai !

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  2. रुक्मिणी ka aadha adhoora pyar..
    Nice poem santosh ji...Lovely

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  3. बहुत सुन्दर.......तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं|

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  4. कृष्ण से कौन सहानुभूति रखे.. छलिये से!!
    प्रेम की विवशता और उलझन को दर्शाती रचना.

    Gaurika 'Padmini'

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  5. बहुत ही खूबसूरत......
    पढते वक्‍त ऐसा लगा मानों कृष्‍ण जी ने अपनी भावनाएं कागज पर उतार दीं......
    आभार....

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  6. dhanyavaad...ab itnee sundar prastutiyon ka jism, yaani blog ka layout bhee behtar ho to mazaa badh jaae

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  7. @सुरेन्द्र "मुल्हिद" : धन्यवाद.

    @रश्मि प्रभा : आपने सही बात ढूंढ ली, जो मैं कहना चाहता
    था. धन्यवाद!

    @P. Dwivedi : रुक्मिणी, राधिका और कृष्ण. सभी अधूरे रहे.

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  8. मैं तो ..
    मुसाफिर था
    हूँ अब भी ,
    कर्मयोगी मुसाफिर
    सफर-दर-सफर,
    गोकुल से मथुरा,
    मथुरा से हस्तिनापुर
    -------अच्छी रचना है.

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  9. @इमरान अंसारी और सागर : शुक्रिया.

    @गौरिका 'पद्मिनी' : ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया. रही बात कृष्ण की.. किसी के साथ छल.. किसी के प्रति प्रेम-विह्वल. कृष्ण का जीवन सम्पूर्ण दर्शन है अपने आप में.

    Dr Shyam Gupta : Thank you for visiting and appreciation, do visit again.

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  10. तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं| धन्यवाद|

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  11. मर्मस्पर्शी भावों से सजी रचनाएँ ....आपको हार्दिक शुभकामनायें

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  12. अच्छी रचना और गूढ अर्थ- बधाई संतोष भाई॥

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  13. @Atul Shrivastava : धन्यवाद. कृष्ण के जीवन-दर्शन से बहुत प्रेरणा और शिक्षा मिलती है हमें!

    @Newslogger : Thank you for suggestion, I will improve my website very soon.

    @Reena Maurya : Thank you, do visit again.

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  14. तीनो क्षणिकाएं बेहद खूबसूरत हैं.

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  15. क्रिसन तो वैसे ही सबके हैं और सब उनके तो ये फर्क क्यों करना ... उसकी माया वो ही जानता है ...

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  16. @उमेश महादोषी, Patli-the-village और डॉ मोनिका शर्मा :

    शुक्रिया ..सराहना के लिए.

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  17. कृष्ण के प्रेम-प्रसंग और जीवन-दर्शन मुझे बेहद पसंद हैं, इस खूबसूरत रचना के लिए सहृदय धन्यवाद. आपकी ऐसी और रचनाओं का इंतज़ार रहेगा.. साभार.

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  18. Krishn to sabme bante they lekin krishn ki apni ek hin thee Radha. teenon rachna bahut sundar, badhai.

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  19. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! लाजवाब प्रस्तुती !

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  20. राधिका एवं मीरा में..
    और हजारों पटरानियों में
    कृष्ण की ..
    अपनी पसंद कौन ??
    bhut achchi abhivaykti.

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  21. बहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....

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  22. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति... बहुत ही सरलता से गहरे भाव उकेरे हैं आपने.. आभार..

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  23. jsi shri krin.radhe radhe..jai sri ram ..har har bhole
    yehi sab bhagt kahte hai yehi sab sant gate hai n jane konse gun pe daya nidhi rinjh jate hai...

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बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .