१. है कौन
तुझ सी हसीन
इस जहाँ में
तू सुन्दर है
ख्वाबों ..खयालातों से
२.
कभी तो रही
भागती सरपट
मेरे आगे-आगे
और कभी तो
खेलती रही लुका-छिपी
मेरी परछाईयों से
३.
तुझ से शुरू
तुझी से खत्म
रही है कहानी मेरी
कहतें हैं ज्ञानी
बातें बडी –बडी
आत्मा – परमात्मा की
पर मेरी तो
रही है लगन तुझसे ही
कई जन्मों से
४.
हैं जीने को बाकी
अहसास और किरदार कई
गढने हैं कीर्तिमान कई
हाँ सच...
तू यकीन रख..
आऊंगा फिर
जरा थमकर परदे के पीछे से
जरा सा भेष बदलकर
तेरे ही शहर में
तुझसे मिलने
अलसाती सी ..
लंबी नींद से जगकर
५.
तू भी तो कहती थी
दुहराती थीं
मेरे ही कानो में
मेरे ही गीत...
अभी ना जाओ छोड़ कर
अभी तो दिल भरा नहीं.....
मेरी ये रचना श्रद्धा-सुमन हैं सदी के सबसे जिंदादिल, , , रूमानी , युवा और जीवन को आखिरी सांस तक परिपूर्णता से जीने की कोशिश करने वाले महान अभिनेता ‘देवानंद जी’ के लिए. कल ८८ वर्ष की उम्र में उनका देहांत हुआ . अगर किसी भी सज्जन को मन में कोई संदेह हो, , वो एकबार “गाईड” फिल्म जरुर देखें.
उनकी फिल्मो के कुछ गाने :
है अपना दिल तो आवारा .. न जाने किस पे आएगा
एक घर बनाऊंगा तेरे घर के सामने
खोया खोया चाँद..खुला आसमां
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले..झूठा ही सही
यहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ
अभी ना जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया..
COPYRIGHT@ संतोष कुमार “सिद्धार्थ”