Saturday, March 31, 2012

मैं और तुम

१.
मैं 
टूटता तारा सही
जलूँगा, बुझूंगा
पर याद रखना
तेरी हर मुराद
पूरी करूँगा.


२.
मेरी जिंदगी...
तू सलाम कर
मेरे शौक को..
थोड़ा गुमान  कर
मेरे अंदाज का
फिर देख
मैं, तेरे हर पहलू में
कितने रंग भरता हूँ.


३.
मुझे
दुनिया की भीड़ में
सिर्फ तुम ही दिखीं..
अपनी सी
मेरी आँखें
पहचानती थीं ,
पहले से,
कई जन्मों से
सिर्फ तुम्हें हीं.


Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२.



Tuesday, March 27, 2012

मैं कौन हूँ तेरा ..?


जुगनू बनकर
तेरे पीछे-पीछे भागूंगा,
मधुर गीत बन
तुम्हारे कानों से,
तुम्हारे दिल की
धडकनों में उतरूंगा

और जब तुम ...
बंद कर लोगी
पलकें अपनी
मेरे सपनों की अनुभूतियों में,
फिर मैं,
अपने मन के कैनवास पर
तेरा अमिट चित्र उतारूंगा
और बस जाऊँगा ,
तुझसे.. तेरे शहर से कहीं दूर
वहीँ बरसों तक
तेरी बाट निहारूंगा

तू सोंच,
मालूम कर मेरा पता ,
परख कर देख
मन की अनुभूतियों को,
“मैं कौन हूँ तेरा ? “
और क्यों ..
इस जहाँ में आया हूँ !!

Copyright@संतोष कुमार “सिद्धार्थ”, २०१२

Saturday, March 17, 2012

प्रवासी पक्षी !


१.
कोई आवाज दे,
कोई तो याद दिलाये
प्रवासी पक्षियों को
कि मौसम है बीत चला
यहाँ और रहने का,
सूरज ने है फिर से
अपना करवट बदला.
२.
घर पर इंतज़ार कर रहे
नवजात चूजे भी
अपना पंख फडफडाने को
और बुजुर्ग पक्षी भी
आँखे बिछाए, ,  राह तक रहे
जीवन अनुभव बांटने को.
३.
कोई संदेशा दे,
याद दिलाये उन्हें
खुशबू अपनी माटी की,
धूप अपने आँगन की .

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२

Sunday, March 11, 2012

दुआ !


तुम्हे..
नसीब हों
सूरज की रौशनी के
सभी टुकड़े,
वो भी ..
जो मैंने समेटे थे,
सहेज रखे थे,
तुम्हारे आँचल में
और वो भी..
जो हो रहे हैं इकट्ठा
मेरी गठरी में
हर रोज ..
तेरे जाने के बाद .

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२