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आने वाले कल के
इतिहास में,
कई युग बाकी हैं,
जग जीतने को
अलसाई आँखें धो लो
कस लो कमर,
बढ़ लो सही डगर पर
है मुकाम पुकार रहा
बाहें फैलाये ,
विजय का टीका लगाने को
भर लो फेफड़ों में
साँसे आत्मविश्वास की
मुडना मत,
झुकना मत
आगे बढ़ो !
और जीत लो
इस दुनिया को.
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२
आने वाले कल के
इतिहास में,
कई युग बाकी हैं,
जग जीतने को
अलसाई आँखें धो लो
कस लो कमर,
बढ़ लो सही डगर पर
है मुकाम पुकार रहा
बाहें फैलाये ,
विजय का टीका लगाने को
भर लो फेफड़ों में
साँसे आत्मविश्वास की
मुडना मत,
झुकना मत
आगे बढ़ो !
और जीत लो
इस दुनिया को.
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२
क्या जोश है........
ReplyDeleteबस...
जोश में खोना ना होश है.......
अनु
कर लो दुनिया मुट्ठी में
ReplyDeletejosh bharti shandar post
ReplyDeleteआगे बढाती हुई ....प्रेरक और सार्थक रचना ...जोश से भरी हुई ....!!
ReplyDeleteशुभकामनायें .
Prerit karti rachna
ReplyDeleteराष्ट्रहित में एक पैगाम ...
ReplyDeleteबहुत खूब ....!!