Sunday, February 26, 2012

तिनके का दर्द


एक तिनका
न जाने क्यूँ
बाकी रह गया
घोंसले में
सजने से

जी रहा है..
आजकल डर–डर के
गिन रहा है
सांसे.. इस चिंता में
हवा उड़ा न ले जाए
पानी बहा न दे
धुप जला न दे
मिट्टी दफ़न न कर दे
उसके अस्तित्व को..

सोंचता रहता है..
अब कैसे निहारेगा ?
नजदीक से
प्यारी चिड़िया को ,
कैसे देखेगा ?
चिड़िया के बच्चों को,
चहकते हुए,
पंख फैलाते हुए,
जीने का अंदाज..
सीखते हुए .

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२ 

Wednesday, February 22, 2012

मतदान का अधिकार !


जनता..
फिर से
भर रही हुंकार
अबकी बार ..
नेता गण में भी
मचे चीत्कार ..
वो भी हों
हैरान – परेशान,
न सो सकें
चैन से.. ,
न बजा सकें बंशी
कि फिर से सत्ता में
काबिज होगी दुबारा
उन्ही की सरकार
अगर जो
ना रखा हो
सही हिसाब ,
सही ख्याल
जनता के आंसुओं का !

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२ 

Saturday, February 11, 2012

एक गुलाब !


एक गुलाब टांक दो
मेरे कोट की बटन होल में,
एक गुलाब खोंस दूं
तेरे बालों के जूडे में.

देखें...
कौन किस पर मर मिटता है?
तू.. मुझपर,
या मैं तुझपर
या फिर
ये गुलाब मर मिटे
हमारी किस्मत पर.

अगर जो कोई
ज़माने में
देखकर हमें जले
तो...भेज दो
उसके भी घर
टोकरी भर गुलाब !!

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२ 


आप सबों को 'प्रेम-दिवस' (Valentine Day) की हार्दिक शुभकामनाएं. एक विनम्र निवेदन है कि अगर दुनिया में  खुशी,  मुस्कान और प्यार बिखेरना चाहते हों तो गुलाब भेंट करना ना भूलें.

Thursday, February 2, 2012

सुनयना ..सुनो ना !


अरी ओ सुनयना ..
जरा करीब तो आओ
बैठो ..पास हमारे
और सुनो..तो
ये बसंती हवा
कहाँ बहती जाए,
क्या कहती जाए
क्यूँ हवा में
खुशबू सी लहराए
क्यूँ भौंरा
फूलों को गुदगुदाए
ये मदमाती साँझ
किसका नाम बुलाए
अब और
कैसे इशारे करूं
तुझे समझाने को,
पास बुलाने को,
जो ना समझ आये
मेरे शब्दों से
चाहो तो ..,
उसे भी सुन लो
लगकर गले मुझसे,
मेरे दिल की धडकनों में..
मेरी मनुहार
ना सही ..
इस ऋतु के जादू का
मान तो रख लो ना..
अरी सुनयना ..सुनो ना !

Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२