जनता..
फिर से
भर रही हुंकार
अबकी बार ..
नेता गण में भी
मचे चीत्कार ..
वो भी हों
हैरान – परेशान,
न सो सकें
चैन से.. ,
न बजा सकें बंशी
कि फिर से सत्ता में
काबिज होगी दुबारा
उन्ही की सरकार
अगर जो
ना रखा हो
सही हिसाब ,
सही ख्याल
जनता के आंसुओं का !
Copyright@संतोष कुमार ‘सिद्धार्थ’, २०१२
काश कि जनता इतनी समझदार साबित हो...
ReplyDeleteअच्छा आगाज़...
जागो मतदाता जागो।
ReplyDeleteजनता जाग रही है... हिसाब मांगेगी अपने आँसुओं का...
ReplyDeleteजागना ही होगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव। धन्यवाद।
ReplyDeleteआंकड़े बदल रहे हैं .....
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