जब कभी भी
मेरा चेहरा
और
तेरा चेहरा
करीब आते हैं
एक - दूसरे के
और खो देते हैं
कुछ यूँ घूम-मिल कर
अपनी-अपनी पहचान
इस जहाँ में
कहीं न कहीं
सुबह होती है
शाम होती है
फुहारे पड़ती हैं
खुशबू उडती है
ये धरती
सूरज, चाँद सितारे सभी
सलाम कर रहे होते हैं
अपनी-अपनी अदा से
मुझे और तुझे
और जज्ब कर रहे होते हैं
हमारे अनमोल और अद्भुत
मिलन के जादू को !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ' , २०१२
प्रेम मिलन यानि आध्यात्म का अभिनव जादू
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deletesunder baat ....
ReplyDeletedhartii aur sooraj mile to din ....
bichhade to raat .....
sunder rachna ....shubhkamnayen ....!!
Thank you for appreciation !
Deletewow great lines.
ReplyDeleteशुक्रिया इमरान जी !!
Deleteमिलन का जादू अनमोल और अद्भुत ही होता है ...
ReplyDeleteसुन्दर कविता..!!
ReplyDeleteकलमदान
वाह.........बहुत सुंदर भाव...........
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