हे प्रभु!
तू
गड़ेरिया बनकर
धरती पर आ
ले चल अपने साथ
मैं थक गया...
अपनी करते-करते
आदमी बन,
चल हाँक ले चल
मुझ मेमने को
तू ही जाने
कौन हूँ,
कहाँ से आया हूँ,
और
कहाँ मुझे जाना है ??
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२.
तू
गड़ेरिया बनकर
धरती पर आ
ले चल अपने साथ
मैं थक गया...
अपनी करते-करते
आदमी बन,
चल हाँक ले चल
मुझ मेमने को
तू ही जाने
कौन हूँ,
कहाँ से आया हूँ,
और
कहाँ मुझे जाना है ??
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२.