आओ दिखाएँ
तुम्हे,
तुम्हारी आँखों में
अनंत का एक रूप
बिल्कुल प्रत्यक्ष में
जरा बैठो तो...
मेरे सामने
और झाँको मेरी आँखों में
और गिनो,
अगर गिन सको तो..?
मेरी आँखों में
तुम्हारी आँखों के
कितने प्रतिबिम्ब हैं?
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
अगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२
तुम्हे,
तुम्हारी आँखों में
अनंत का एक रूप
बिल्कुल प्रत्यक्ष में
जरा बैठो तो...
मेरे सामने
और झाँको मेरी आँखों में
और गिनो,
अगर गिन सको तो..?
मेरी आँखों में
तुम्हारी आँखों के
कितने प्रतिबिम्ब हैं?
प्रतिबिम्ब और भी गुणित होंगे...
अगर जो ढलके
एक-दो बूँद आँसू
मेरी या तुम्हारी आँखों में !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२