१.
सुन री हवा
ठहर जरा
बताती तो जा
मेरे प्रीतम का पता
गर जो तुम्हे
ना हो मालूम
तो अपने साथ लेती जा
मेरा पता !
२.
गगन के तारे
रोज बुलाते हैं
कहते हैं
बाँट लो
मेरी रौशनी,
मेरी ऊष्मा
और जी लो
अमन चैन से,
बस नाम न दो
न बांटो मुझे
ऐसा कहके
कि ये मेरा है
वो तुम्हारा है !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ'
सुन री हवा
ठहर जरा
बताती तो जा
मेरे प्रीतम का पता
गर जो तुम्हे
ना हो मालूम
तो अपने साथ लेती जा
मेरा पता !
२.
गगन के तारे
रोज बुलाते हैं
कहते हैं
बाँट लो
मेरी रौशनी,
मेरी ऊष्मा
और जी लो
अमन चैन से,
बस नाम न दो
न बांटो मुझे
ऐसा कहके
कि ये मेरा है
वो तुम्हारा है !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ'
गहरे एहसास
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteखासकर पहलीवाली बहुत ही बेहतरीन है...
:-)
ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
ReplyDeleteहम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
जय श्री कृष्ण ..
kalamdaan
आपको भी कृष्ण-जन्मोत्सव की शुभकामनायें. प्रभु कृपा बनी रहे.!
Deleteशुभकामनायें संतोष जी |
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण ||
ब्लॉग पर आने का शुक्रिया! जय राधे-जय कृष्ण !
Deleteबहुत सुंदर क्षणिकाएँ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं...गहरे एहसास....
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
अनु
pyare ahsaas...:)
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत शब्द रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteगहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteसंतोष जी आज मैंने आपकी कविता "सुन री हवा " को ध्यान से पढ़ा ...
ReplyDeleteमैंने कल्पना किया उस लड़की के बारे में जिसने ये कहा ...बहुत ही मार्मिक और भावनात्मक लगा