Thursday, August 9, 2012

क्षणिकाएँ

१.
सुन री हवा
ठहर जरा
बताती तो जा
मेरे प्रीतम का पता
गर जो तुम्हे
ना हो मालूम
तो अपने साथ लेती जा
मेरा पता !

२.
गगन के तारे
रोज बुलाते हैं
कहते हैं
बाँट लो
मेरी रौशनी,
मेरी ऊष्मा
और जी लो
अमन चैन से,
बस नाम न दो
न बांटो मुझे
ऐसा कहके 
कि ये मेरा है
वो तुम्हारा है !

Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ'

13 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...
    खासकर पहलीवाली बहुत ही बेहतरीन है...
    :-)

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  2. ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
    हम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
    जय श्री कृष्ण ..
    kalamdaan

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    1. आपको भी कृष्ण-जन्मोत्सव की शुभकामनायें. प्रभु कृपा बनी रहे.!

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  3. शुभकामनायें संतोष जी |
    जय श्री कृष्ण ||

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    1. ब्लॉग पर आने का शुक्रिया! जय राधे-जय कृष्ण !

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  4. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ..

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  5. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं...गहरे एहसास....

    जय श्री कृष्णा
    अनु

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  6. बेहद खूबसूरत शब्द रचना

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  7. सुन्दर रचना

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  8. गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  9. संतोष जी आज मैंने आपकी कविता "सुन री हवा " को ध्यान से पढ़ा ...
    मैंने कल्पना किया उस लड़की के बारे में जिसने ये कहा ...बहुत ही मार्मिक और भावनात्मक लगा

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बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .