१.
यूँ तो अक्सर
मेरा नाम सुनकर
तुम्हारा दिल धडकता है
पर क्या
कोई मुल्क है?
कोई जुबान है?
जिसमें होता हो
तर्जुमाँ मेरे नाम का
तुम्हारा नाम !
२.
कहते हैं
ढूँढो जो अगर
लगन से,
धीरज से
तो ईश्वर भी मिल जातें है
यही सोंचकर
तुम्हे ढूँढने चला हूँ मैं !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२
यूँ तो अक्सर
मेरा नाम सुनकर
तुम्हारा दिल धडकता है
पर क्या
कोई मुल्क है?
कोई जुबान है?
जिसमें होता हो
तर्जुमाँ मेरे नाम का
तुम्हारा नाम !
२.
कहते हैं
ढूँढो जो अगर
लगन से,
धीरज से
तो ईश्वर भी मिल जातें है
यही सोंचकर
तुम्हे ढूँढने चला हूँ मैं !
Copyright@संतोष कुमार 'सिद्धार्थ', २०१२
कहते हैं
ReplyDeleteढूँढो जो अगर
लगन से,
धीरज से
तो ईश्वर भी मिल जातें है
यही सोंचकर
तुम्हे ढूँढने चला हूँ मैं !
वाह .. बेहतरीन
सराहना के लिए शुक्रिया !
Deleteबहुत सुन्दर संतोष जी....
ReplyDeleteपहली क्षणिका तो बेहद खूबसूरत....
अनु
जरूर मंजिल मिलेगी ... आपको जिसकी तलाश है वो जरूर मिलेगी .. आमीन ...
ReplyDeleteमंजिल जरूर मिलेगी ...आपकी शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया.
Deleteधीरज है तो ईश्वर तो मिलेंगे ही .. ये भरोसा ही तो अस्तित्व है...
ReplyDeleteजिद है ..जूनून है ..बस प्रयास जारी रहने चाहिए. Never say die spirit के साथ.
Deleteविचार बांटने का शुक्रिया.
दोनों ही क्षणिकाएँ लाजवाब...सकारात्मक सोच की अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteशुक्रिया !
Deleteये खोज पूर्ण होगी, लगन सच्ची जो है।
ReplyDeleteजी हाँ... सच्ची लगन से हर खोज जरुर पूरी होगी. धन्यवाद.
Deleteवाह ..... दोनों क्षणिकाएं बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन क्षणिकाएं
ReplyDelete:-)
wah, kya baat hai.
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